मैं महाकाल हूं Poem by Sachin Singh

मैं महाकाल हूं

हूं शब्द का भी सार मै,
अंत हूं मैं अर्थ का।
हूं सर्वशक्तिमान मै,
हूं ब्रह्म का महा ज्ञान मै,
हूं काल का भी काल मै,
हां, हूं महाकाल मै।

मैं महाकाल हूं
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